Sunday, December 26, 2010

सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः

नव वर्ष २०११ के शुभ आगमन पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
राम नाम की ज्योति हम सबके घट मंदिर में प्रज्वलित हो और हम सब प्रातः स्मर्निये गुरु महाराज स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा दर्शाए पावन पथ पर चल कर अपना जीवन सफल बनायें|

आज इस पावन वेला में मुझे आपसे यह कहना है कि हम सब राम नाम के उपासक हैं | गुरुदेव ने बहुत कठिन तपस्या कर के इस परम नाम को प्राप्त किया था | उन्होंने इसे हम कंगालों की झोली में प्रसाद रूप में डाल दिया है |
मन में पूरा विश्वास रखिये कि यह एक चैतन्य एवं जागृत महा मंत्र है | इस मंत्र का नियमित जाप और ध्यान अत्यंत मंगलकारी एवं परम कल्याण करने वाला है | इसका जाप करते हुए यही भाव रखिये कि इसके आराधन से मैं प्रभु राम का सान्निध्य प्राप्त कर रहा हूँ और इसकी कृपा निरंतर मुझ पर बरस रही है |

परमेश्वर कि कृपा प्राप्त करने के लिये निरंतर अपने पर दृष्टि रखनी होगी | इसे साक्षी भाव कहते हैं| हर पल हमें अपना आत्मनिरीक्षण करना है कि क्या मेरे में परिवर्तन आ रहा है ? मेरे अवगुण क्षीण हो कर मुझ में सद्गुणों का विकास हो रहा है ? जिसका मन और चित्त शुद्ध है , वही राम कृपा का पात्र है | जिस प्रकार वर्षा का जल प्राप्त करने के लिये, हम बर्तन या पात्र को स्वच्छ करके बाहर रख देते हैं , यदि पात्र उल्टा रखा होगा, तो उसमे जल नहीं गिरेगा| राम कृपा को प्राप्त करने के लिये भी हमें पात्रता प्राप्त करनी होगी| जो मधुर, प्रसन्न, उदार तथा सरल है; जो सच्चाई के मार्ग पर चलता है और जिसने सेवा, त्याग और परमार्थ को अपने जीवन में उतार लिया है वही राम कृपा को प्राप्त करेगा |

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ की " राम " नाम में असीम शक्ति है | सब कुछ राम का समझ कर अपने कार्यों को करें | अपने जीवन की कर्म स्थली में आलस्य, प्रमाद और अवसाद को कभी नहीं आने देना| अपने कर्तव्य कर्म करते हुए , अपना लक्ष्य राम का मिलाप रखना है | जब भी अवकाश मिले, मन को राम के भजन स्मरण में लगाना है | जीवन में दुःख- सुख, हानि-लाभ, आशा-निराशा, मिलना-बिछुड़ना और यश-उप यश में उसकी टेक और भरोसा पकडे रखना है | जिसने उसका सहारा लिया है वेह बे-सहारा नहीं | जो उसके आश्रय में है, उसे कोई निराश्रय नहीं कर सकता| जिसने उसकी चरण शरण ग्रहण करली है, उसे किसी और ठिकाने कि आवश्यकता नहीं है | और जो उसका दास है वेह उदास नहीं हो सकता |

उस परम पिता के मार्ग पर चलने वाले कि साधना का मार्ग स्वयं श्री राम प्रशस्त करते हैं |

आएये नव वर्ष के शुभ आरम्भ पर भगवान् से येही मांगे :

मार्ग सत्य दिखईये संत सुजन का पथ,
पाप से हमें बचाएये पकड़ हमारा हाथ

हाथ जोड़ मांगू हरे सेवा कृपा प्यार,
विनय नम्रता दान दे, देना सब कच वार


आशीर्वाद सहित
हंसराज


Friday, August 20, 2010